मोहक पतझड़
हे प्रकृति ! मैं तुझ पे बलिहारी
क्या ख़ूब चलाई पिचकारी ,
चित्रकार नहीं कोई तुझ जैसा
जो दृश्य दिखाये मनोंहारी ।
प्रभु नें रहमत बरसाई है
रंगों से करी है कारीगरी ,
फूलों के दर्प को चूर किया
पत्तों की बनाई फुलवारी ।
राहों के किनारे पेड़ों की
मोहक ये छटा प्यारी -प्यारी ,
ऑखों से गुज़रते दृश्य लगें
ज्यों दुल्हन की चुनरी न्यारी ।
प्रभु तेरी लीला अजब - गजब
अद्भुत लागे ये छवि सारी ,
कहनें को मौसम पतझड़ का
पर ऋतु की महिमा है भारी ।
मन मोहित है , आनंदित है
एक अमिट छाप मन पे न्यारी ,
कुछ दिन में समय फिर बदलेगा
बिछुड़ेंगे सभी बारी बारी ।
है धन्य रचयिता हम सब का
अनुपम श्रृँगार पे मैं वारी ,
मन ! मंत्र -मुग्ध हो जाता है
कर जाता ऐसी जादूगरी ।
फिर नई कोपलें आयेंगी
होगी हरियाली सुखकारी
परिवर्तित करके रंग -रूप
यूँ ही चलती है सृष्टी सारी ।
आशा
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O Amazing Nature!
I am indebted to you for this colorful spray.
There is no painter like you,
Who can show such pleasing scenes.
God has showered his blessings,
Using colors as his medium.
Selecting the best of the flowers,
To make leaves into a beautiful garden.
The beguiling trees by the roadsides,
Look so beautiful.
The colorful scenes look like
Robes of Indian brides.
O God! thanks for your wonderful creation.
It is an amazing scene
It is called Fall Season BUT,
The season’s glory is overwhelming.
We get filled with lots of joy,
And the effect is unforgettable.
Soon the seasons will change,
And the leaves will drop one by one.
We are thankful to the great Creator,
For this Incomparable appearance.
One feels hypnotized
With such a magical experience.
Later new buds and pleasing greenery will sprout.
This is how Nature continues
With changing shapes and colors.
This is LIFE.
Asha
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